गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश उत्सव पटना साहिब में आयोजित

गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश उत्सव के पटना साहिब में आयोजित समापन सुकराना समारोह में हरियाणा सरकार की ओर से मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रुप में पहुंचे हरियाणा पर्यटन निगम के चेयरमैन श्री जगदीश चोपड़ा, महिला विकास निगम की अध्यक्षा श्रीमती रेणु शर्मा, हरियाणा माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री गुरदेव सिंह राही, विधायक श्री बख्शीश सिंह विर्क, श्री गुरविंद्र सिंह तथा सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उप निदेशक श्री सतीश मेहरा को तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के श्री सिंह साहब श्री इकबाल सिंह ने शिरोपा भेंट कर सम्मानित किया गया।
    इस अवसर पर श्री इकबाल सिंह ने अपने संबोधन में सर्वप्रथम हरियाणा सरकार का नाम लेकर धन्यवाद व आभार प्रकट किया और कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से हरियाणा में पूरे वर्ष गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश उत्सव को मनाया गया जिसका शुभारंभ करनाल में किया गया व समापन समारोह यमुनानगर के जगाधरी में आयोजित किया गया, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने हरियाणा सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की ओर से भव्य कार्यक्रमों के साथ साथ दो विशेष रेलगाडिय़ां श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क भेजी है तथा सरकार की ओर से ही इन श्रद्धालुओं को आने जाने के समय खाने पीने, चिकित्सा तथा सुरक्षा व्यवस्था का उचित प्रबंध तथा श्रद्धालुओं को पटना साहिब में भेज कर सराहनीय कार्य किया है इसके लिए हरियाणा सरकार बधाई की पात्र हैं। उन्होंने यह कामना करते हुए कहा कि अन्य राज्यों की सरकारें भी हरियाणा सरकार की तरह इसकी अनुपालना करें।
    इस अवसर पर हरियाणा पर्यटन निगम के अध्यक्ष श्री जगदीश चोपड़ा ने संबोधित करते हुए कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश उत्सव के करनाल में आयोजित शुभारंभ व यमुनानगर के जगाधरी में आयोजित समापन समारोह में प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि अंबाला व सिरसा से प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई विशेष रेलगाडिय़ां अपने अपने स्टेशनों से पटना के लिए रवाना हुई तो रास्ते में पडऩे वाले सभी स्टेशनों पर इन रेलगाडिय़ों का श्रद्धालुओं व कार्यकर्ताओं द्वारा उत्साह व श्रद्धा के साथ भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रति लोगों में एक उत्साह का माहौल है। श्री चोपड़ा ने कहा कि एक महान वीर, सैन्य कौशल में निपुण और आदर्श व्यक्तित्व वाले शख्स के रूप में इतिहास हमेशा गुरु गोबिंद सिंह जी को याद रखेगा। गुरु गोबिंद सिंह को ज्ञान, सैन्य क्षमता और दूरदृष्टि का सम्मिश्रण माना जाता है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह 10वें गुरु, संत सिपाही, योद्धा, सरबंसदानी और कवि थे। श्री गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता श्री तेग बहादुर के उत्तराधिकारी बने और 9 वर्ष की आयु में सिक्खों के गुरु बने। सिक्ख धर्म के लिए उनका उल्लेखनीय योगदान था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की। उनके पांच प्यारे सिक्खों का हमेशा मार्ग दर्शन करते हैं और सिक्ख धर्म की स्थापना में उनका योगदान उल्लेखनीय था। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए मुग्ल शासक औरंगजेब से कश्मीरी पंडितों व हिन्दू धर्म की रक्षा की। गुरु गोबिंद सिंह ने बचपन में ही अनेक भाषाएं सीखी जिसमें संस्कृत, उर्दु, हिंदी, ब्रज, गुरमुखी और फारसी शामिल है। उन्होंने योद्धा बनने के लिए मार्शल ऑर्ट भी सीखा।
    इस अवसर पर विधायक सरदार बख्शीश सिंह विर्क ने संबोधित करते हुए कहा कि जब श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था उस समय वहां मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन था। उसकी शाही सेना भारतीय जनता पर बहुत जुल्म किया करती थी और उसने देश भर में अपने सभी गर्वनरो को आदेश जारी कर दिया कि हिन्दुओ के मन्दिर गिरा दे। कश्मीर का गर्वनर इफ्तिखार खान था जिसने बादशाह के आदेशो को लागू करने की ठान ली। कश्मीर में मन्दिर गिरने लगे और हिन्दुओं को मुसलमान बनाया जाने लगा। ऐसी नाजुक स्थिति में जब कश्मीरी पंडितो के एक दल ने इनके पिता गुरु तेग बहादुर से सहायता की याचना की तो पुत्र गोबिंद सिंह ने पिता से कहा पिताजी धर्म की रक्षा के लिए आपसे बड़ा महापुरुष कौन हो सकता है। इस तरह हिंदुस्तान में हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए श्री गोबिंद सिंह जी ने बाल उम्र में ही अपने पिताजी को दिल्ली की तरफ चलाया। औरंगजेब के आदेश पर श्री तेगबहादुर जी को शहीद कर दिया गया। गुरु जी के शहीद होने के बाद श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने सभी सिखों को शस्त्रधारण करने तथा बढिय़ा घोड़े रखने के लिए उसी तरह आदेश जारी कर दिया, जिस तरह श्री अर्जुन देव जी की शहीदी के बाद श्री गुरु हरगोविन्द साहिब जी ने किया था। पिता गुरु तेगबहादुर की शहादत के बाद गोबिंद राय को नौ वर्ष की आयु में 11 नवम्बर 1675 को विधिवत रूप से गद्दी पर बैठाया गया। इसके बाद सबसे पहले गोबिंद राय ने अपने नाम के साथ सिंह जोड़ा और समस्त सिखों को अपने नाम के साथ सिंह जोडऩे को कहा। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म की रक्षा के लिए अनेकों कुर्बानियां दी।
    इस अवसर पर महिला विकास निगम की अध्यक्षा श्रीमती रेणु शर्मा, हरियाणा माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री गुरदेव सिंह राही, सरदार गुरविंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।
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