नाडा गाँव की समस्या ग्रामीण महिलाओं ने जिला उपायुक्त, नगर निगम आयुक्त और मेयर साहिबा बतायी

नाडा गाँव: गाँव में खुली नालियां और गन्दगी के चलते पूरे शहर में दुर्गन्ध है, पीने वाले पानी की नालियां इन गन्दी नालियों से हो कर निकलती हैं, और सीवर का कोई भी उपयुक्त साधन नहीं है. यह शहर कई सदियों से बसे हैं, और अब तो यह हुडा ने अपने अधिकार में भी ले लिया है. हुडा द्वारा इसी इलाके में सेक्टर 31 का विकास भी हो रहा है. दुःख की बात यह है कि जहां हुडा ने वहीं निर्माणाधीन अर्धसैनिक बालों के लिए कॉलोनी के लिए सीवर की सुविधा दे दी है, वहीं इस गाँव को बिलकुल भुला दिया गया है.
स्वच्छता अभियान का  नारा लगाने वाला प्रशासन इस बात से जैसे  अनभिज्ञ है कि सीवर के अभाव के चलते या  महिलाओं को खुले में शौच करना पड़ रहा है, या फिर अपने घर में ही गड्ढों पर शौच बना लिए हैं, जिसके गंदे पानी की निकासी गाँव की गलियों में हो रही है. इस समस्या के  बारे में प्रशासन - जिला आयुक्त और नगर निगम को पहले भी कई आवेदन दिए जा चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. महिलायें   हाथ से ही सब मल, गंद साफ़ करने को मजबूर हैं. मछरों ने वहाँ जीना दुश्वार कर दिया है.

आज महिलाओं ने फिर इस समस्या को ज़ोरदार तरीके से उठाया, जिसके चलते जिला उपयुक्त ने पब्लिक हेल्थ के   SDO को ल ही वहां जाकर हालत  की जांच करने को कहा. उन्होंने महिलाओं को नगर निगम आयुक्त  भी मिलने को कहा. नगर निगम आयुक्त ने सफाई करवाने का आश्वासन दिया और साथ   ही हुडा के एडमिनिस्ट्रेटर से भी बात की. नगर निगम आयुक्त ने कहा कि नाडा गाँव में सीवर की ज़िम्मेदारी उनकी  नहीं है. उन्होंने कहा कि एक बार सफाई करवाने के बाद का ज़िम्मा  गाँव वालों का है. महिलाओं ने कहा कि वे स्वच्छता अभियान में गीले और सूखे कूड़े   का निवारण करने को तैयार हैं. जिसके लिए प्रशासन उन्हें प्रशिक्षित करे.
अंत में महिलाएं मेयर को मिलीं. महिलाओं ने बताया कि सीवर के अभाव में वे घर में शौच  निर्माण  कैसे करें? मेयर साहिबा ने तुरंत सफाई के निर्देश दिए. उन्होंने यह भी बताया कि हुडा ने करीब दो महीने पहले ही वहाँ पर सीवर बिछाने का वायदा किया था. वे इसका जायजा करेंगी कि अभी तक वहाँ सीवर  की समस्या का निवारण क्यों नहीं हुआ.
गाँवों की महिलाओं के साथ  गयी सोनिया गौड़ ने बताया कि यह संघर्ष लगभग पिछले २ वर्ष से  रहा है, लेकिन कहीं कुछ भी नहीं होता. उन्होंने  कहा," एक मोबाइल टॉयलेट लगवाया गया लेकिन उसमें भी पानी नहीं रहता. सफाई कर्मचारी आते ही नहीं. ऐसे में गाँव में कोई महामारी भी हो सकती है. प्रशासन तो जैसे इस गाँव को भूल ही गया है. विकास कार्य आधे-अधूरे छोड़ दिए जाते हैं."
स्वराज इंडिया की उपाध्यक्ष और पंचकुला की निवासी, शालिनी मालवीय जो इन महिलाओं के साथ प्रशासन से मिलीं, ने  कहा, "जितना अधिकार शहर का  स्वच्छता और शौचालय बनाओ  योजनाओं पर है, उतना ही गाँवों का भी है. स्वच्छता अभियान और शौचालय की मुहीम को ज़मीन पर भी दिखना चाहिए. यह अच्छा है कि प्रशासन ने इस मुलाक़ात को गंभीरता से लिया है." उन्होंने यह भी कहा कि गाँव में  महिला चौपाल के ज़रिये महिलाओं को साफ़- सफाई का ज्ञान  भी दिया  जाएगा. स्वराज इंडिया इस मुहीम में ग्रामीण  महिला नेतृत्व का समर्थन कर रहा है.
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