आजादी के बाद सरदार पटेल ने देश को राजकीय एकता में बांधा : सोलंकी

चंडीगढ़ विविधता भारत की सुन्दरता है लेकिन यह दूरियों व भेदभावों में नहीं बदलनी चाहिए। ऐसा होता है तो देश की एकता को खतरा पैदा हो जाता है। यह बात हरियाणा के राज्यपाल प्रो० कप्तान सिंह सोलंकी ने राजभवन में पांच राज्यों-उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार से आए आदिवासी युवाओं को सम्बोधित करते हुए कही। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के ये युवा पंचकुला में नेहरू युवा केन्द्र संगठन के एक सप्ताह के 10वें युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

     आदिवासी युवाओं का राजभवन में स्वागत करते हुए राज्यपाल ने उनसे अपील की कि वे देश के विकास को देखकर अपने क्षेत्रों में भी ऐसा ही विकास करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि देश का हर नागरिक भारतीय है। कोई भी स्थानीय अथवा बाहरी नहीं है। आदिवासियों के स्थानीय और अन्य का बाहरी होने का भ्रम देशविरोधी फैलाते हैं। जबकि आदिवासी इसलिए आदिवासी कहलाते हैं क्योंकि वे देश के प्राचीन लोकाचार को संजोकर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों सहित सब भारतीयों को भावात्मक एकता में पिरोना जरूरी है। लेकिन दुर्भाग्य से अभी हम इसमें सफल नहीं हुए हैं। अभी भी केवल आदिवसी क्षेत्रों से ही नहीं अन्य क्षेत्रों से भी एक जैसे स्वर नहीं निकलते। आजादी के बाद सरदार पटेल ने देश को राजकीय एकता में बांधा लेकिन भावात्मक एकता लिए अभी और काम करना है ताकि सब महसूस करें कि यह देश मेरा है। प्रो० सोलंकी ने कहा कि महात्मा गांधी सहित आजादी के आन्दोलन के हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने इसी भावात्मक रूप से एक राष्ट्र की परिकल्पना की थी। यह नया भारत बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने 2022 तक छह लक्ष्य रखे हैं जिनमें स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, शिक्षित भारत, सम्पन्न भारत और सुरक्षित भारत शामिल हैंै। इसी प्रकार छह विकारों को मिटाने का भी लक्ष्य है जिनमें गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, हिंसा, जातीयता और साम्प्रदायिकता शामिल हैं। राज्यपाल ने कहा कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए देश के सब नागरिकों को एकजुट होकर काम करना होगा।
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