नोटबंदी के काले अध्याय की तीसरी बरसी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को
देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि केन्द्र सरकार के नोटबंदी के जो
उद्देश्य गिनवाऐं थे उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ बल्कि इस फैसले ने देश
की अर्थव्यवस्था को ही बर्बाद कर दिया। ये बात हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के
पूर्व प्रवक्ता अशोक बुवानीवाला ने आज अर्थव्यवस्था को बर्बादी की कगार पर
पहुंचाने वाली नोटबंदी के तीन वर्ष पूरे होने पर कही। बुवानीवाला ने कहा कि
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग के भयावह आंकड़े लगातार बता रहे हैं कि नोटबंदी के
बाद संगठित और असंगठित क्षेत्रों में करोड़ों की संख्या में नौकरियां गई
हैं। व्यापार ठप्प हो गया और उद्योग धंधों पर ताले लटक गए। ग्रामीण
क्षेत्रों में कृषि व दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले गरीब लोग भी इससे अछूते
नहीं रहें और उनका काम-धंधा भी चौपट हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
द्वारा की गई नोटबंदी देश की अर्थव्यवस्था के लिए काला अध्याय साबित हुई
है। उन्होंने कहा कि 8 नवम्बर को नरेन्द्र मोदी ने बिना तैयारी के जनविरोधी
फैसला लेते हुए नोटबंदी कर विमुद्रीकरण की घोषणा की थी तब देश की जनता ने
अपना सब कुछ गंवा कर लाइन में लगकर इस फैसले का साथ दिया था। परन्तु इसके
बाद नोटबंदी अपना एक भी उद्देश्य प्राप्त नहीं कर पाई जिस कारण देश की जनता
आज स्वयं को ठगा महसूस कर रही है। नोट बदलवाने को लेकर सैंकड़ों लोगों की
जान चली गई। ना नक्सलवाद पर लगाम लगी और ना आतंकवाद में कोई कमी आई। बैंक
अभी तक संभल नहीं पाए है, देश डिजीटल पेंमेंट व कैशलैस बनने की बजाए नकदी
पर पहले से भी ज्यादा निर्भर हो गया। डॉलर के मुकाबले रूपए के साथ-साथ
विकास दर गिरती जा रही, भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ और 50 दिन में कालाधन
वापिस लाने वाले प्रधानमंत्री मोदी तीन वर्ष की नोटबंदी के साथ अपना एक
कार्यकाल पूरा करने के बावजूद कालाधन वापिस नहीं ला पाऐं। कांग्रेस नेता ने
कहा कि रेटिंग एजेंसी मूडी ने आज ही भारत के कर्ज चुकाने की क्षमता को
निगेटिव कर दिया है। इसका कहना है कि पांच तिमाही से आ रहे अर्थव्यवस्था
में ढलान से कर्ज बढ़ता ही जाएगा। 2020 में बजट घाटा जीडीपी का 3.7 प्रतिशत
हो जाएगा जो 3.3 प्रतिशत रखने के सरकार के लक्ष्य से बहुत ज़्यादा है।
भारत की जीडीपी 6 साल में सबसे कम 5 प्रतिशत हो गई है। इसके 8 प्रतिशत तक
पहुंचने की उम्मीद बहुत कम हैं। बुवानीवाला ने कहा कि मनमोहन काल में देश
को 2008 की मंदी की भनक तक नहीं थी। नोटबंदी के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री
एवं महान अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जी ने केन्द्र सरकार को नोटबंदी के
दुष्परिणामों को लेकर चेताया भी था परन्तु मोदी सरकार ने इसका जरा भी
संज्ञान नहीं लिया। लेकिन केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियां बता रही है कि
हमारी अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री मोदी के फैसलों के कारण पस्त हुई है।
नोटबंदी उनमें से एक है। केन्द्र सरकार अपनी आधी-अधुरी तैयारियों के साथ
मनमाने ढ़ंग देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है।